देशभर में 10 जुलाई को ईद उल अजहा यानि बकरीद (Bakrid 2022) का त्योहार मनाया जाएगा। बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा है। वहीं, बकरीद से पहले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष और असम की धुबरी लोकसभा सीट से सांसद बदरुद्दीन अजमल (Badruddin Ajmal) ने देश के मुसलमानों से खास अपील की है।

बदरुद्दीन ने मुसलमानों से अपील की है कि वे बकरीद त्योहार के अवसर पर गायों की बलि न दें ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘कुर्बानी’ त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसीलिए गायों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है।’ उन्होंने एक बयान में कहा कि हिंदू धर्म का सनातन धर्म गाय को अपनी मां के रूप में मानता है और उनकी पूजा करता है। हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।

देवबंद की अपील का दिया हवाला

बदरुद्दीन ने कहा कि इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद ने 2008 में एक सार्वजनिक अपील जारी की थी। इस अपील में कहा गया था कि त्योहार के अवसर पर कुर्बानी के रूप में गाय की बलि न दी जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं फिर से वही अपील दोहरा रहा हूं। अपने साथी से एक वैकल्पिक जानवर की बलि देने का आग्रह कर रहा हूं, जिससे देश की बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे।

उन्होंने कहा कि बकरीद पर ऊंट, बकरी, गाय, भैंस, भेड़ और अन्य जानवरों जैसे जानवरों की बलि दी जा सकती है। चूंकि देश के ज्यादातर लोग गाय को पवित्र मानते हैं, मैं विनम्रतापूर्वक लोगों से इससे बचने और वैकल्पिक पशु की बलि देने की अपील करता हूं।

By radmin