सोलर प्लांट के लिए लगाए जाने वाले सोलर पैनल के महंगे होने की वजह से अब मुख्यमंत्री सोलर योजना घाटे का सौदा हो गई है। सरकार की इस योजना को लेकर लोगों की रुचि में कमी देखने को मिली है।

राज्य में सीएम सौर स्वरोजगार योजना को भी महंगाई का झटका लग गया है। सोलर प्लांट के पैनल महंगे हो गए व उन पर जीएसटी-कस्टम ड्यूटी बढ़ने से प्लांट की लागत और बढ़ गई है। इससे लोग इस योजना से हाथ खींचने लगे हैं। इस बीच उरेडा ने सोलर प्लांट के लिए प्रति किलोवाट रेट बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है लेकिन प्लांट इस रेट से भी अब महंगे लग रहे हैं।

25 किलोवाट के लिए 10 की जगह 13 लाख का आ रहा खर्च

अब तक 25 किलोवाट का सोलर प्लांट दस लाख रुपये की लागत में लग जाता था। अब इसके लिए करीब 13 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इस तीन लाख रुपये के अतिरिक्त खर्च ने योजना की लागत और हर महीने होने वाले संभावित कमाई के आंकड़े को गड़बड़ा दिया है। अभी उरेडा ने योजना के लिए 40 हजार रुपये प्रति किलोवाट का रेट तय किया है। जबकि इस बीच अब सोलर पैनल पर जीएसटी पांच से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है। कस्टम ड्यूटी भी बढ़ गई है। इस कारण सोलर प्लांट की लागत काफी बढ़ गई है। जो मौजूदा रेट और सब्सिडी में मुनाफे का सौदा नहीं रह गई है। इसे देखते हुए उरेडा ने सोलर पैनल के रेट 40 हजार रुपये प्रति किलोवाट से बढ़ा कर 45 हजार रुपये प्रति किलोवाट तय करते हुए लोगों को लाभ देने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव सरकार को मिलय गया है।

सब्सिडी के लिए भेजा गया प्रस्ताव

ऊर्जा अनुभाग ने प्रस्ताव को सब्सिडी के लिहाज से उद्योग विभाग को प्रस्ताव भेजा। उद्योग विभाग ने ऊर्जा को अपने स्तर पर संशोधन करने को कहा है। साफ किया है कि 25 लाख रुपये तक के प्लांट को ऊर्जा अनुभाग अपने स्तर पर संशोधन कर सकता है। अब ऊर्जा के स्तर पर प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लेने की तैयारी हो रही है।

राज्य में मजबूत ग्रिड सिस्टम न होने से भी योजना प्रभावित हो रही है। गांवों में न तो बिजली की लाइनों का मजबूत सिस्टम है और न मानक के अनुसार ट्रांसफार्मर। इससे सोलर प्लांट लगाने में दिक्कत आ रही है। जिन्होंने प्लांट लगाए भी हैं, वे परेशानहैं। मजबूत लाइनें न होने से लाइन बाधित हो रही है। लंबे समय तक बिजली गायब रहती है। इसके कारण प्लांट से जितनी बिजली पैदा होनी चाहिए, वो नहीं हो पा रही है।

By radmin