सेहत

किडनी को हेल्दी रखने के लिए बस करने होंगे 5 काम

किडनी हमारे शरीर में एक मौन योद्धा की तरह काम करती है। यह शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित और रक्तचाप को नियंत्रित करती है। खराब जीवनशैली की देन डायबिटीज और ब्लडप्रेशर इसे नुकसान तो पहुंचा ही रहे हैं, कुछ अज्ञात कारण भी है, जो धीरे-धीरे किडनी की ताकत को खत्म कर रहे हैं।

हालांकि कुछ लोग अब नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ आहार, पर्याप्त पानी पीने की आदत अपनाकर किडनी को सेहतमंद रखने के प्रति जागरूक हो रहे हैं, लेकिन किडनी को लेकर कुछ भ्रम भी बना रहता है, जिसे समझना आवश्यक है।

केवल बुजुर्गों को होती है किडनी की बीमारी!
उम्र के बढ़ने के साथ किडनी समेत अनेक अंगो की क्षमता प्रभावित होती है। हालांकि, यह बदलाव धीमी गति से होता है, इसलिए तात्कालिक लक्षण नहीं उभरता । किडनी की बीमारी पैसे तो बच्चे से लेकर बूढ़े तक किसी उम्र के व्यक्ति हो सकती है। डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, मोटापा लंबे समय तक बना रहता है तो इसका दुष्प्रभाव किडनी पर पड़ता है। मान लीजिए किसी को 35 वर्ष की उम्र में डायबिटीज हुई और अगले 20-25 वर्षों तक यह समस्या बनी रही तो किडनी खराब हो सकती है। यही कारण है कि बुढ़ापे में किडनी, हार्ट अटैक की आशंका अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। किडनी की बीमारी संक्रमण सूजन या अन्य कारण से भी हो सकती है। कुछ मामलों में यह बीमारी बचपन में ही हो जाती है।

क्या अधिक पानी पीने से सही रहती है किडनी !
पर्याप्त पानी पीना अच्छी बात है, खासकर जो व्यक्ति स्वस्थ है, उसे दिनभर में छह से आठ गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। आजकल आरामदेह जीवनशैली और एसी में रहने के कारण प्यास कम लगती है। गर्मी में लोग पर्याप्त पानी पीते हैं, पर अन्य मौसम में कम कर देते हैं। शारीरिक मेहनत नहीं करने के कारण पसीना कम आता है। इससे डिहाइड्रेशन की आशंका बढ़ जाती है। यही किडनी स्टोन का कारण बन सकता है। पर्याप्त पानी नहीं पीने से यूरिन गाढ़ा आता है। जबकि, यूरिन साफ और हल्के रंग में आना चाहिए। बहुत अधिक पानी से किडनी सुरक्षित हो जाएगी, ऐसा भी नहीं है। लेकिन, पर्याप्त पानी पी रहे है तो किडनी में स्टोन बनने, रक्तसंचार बाधित होने का रिस्क कम हो जाता है।

स्टोन होने के कारण होती है किडनी की बीमारी!
अगर किडनी में स्टोन है और वह लंबे समय तक बना रहता है तो एक समय के बाद वह किडनी की कार्यक्षमता को बाधित करने लगता है। मान लीजिए एक तरफ की किडनी में स्टोन हो गया है और इससे एक किडनी डैमेज हो जाती है तो दूसरी किडनी सही चलती रहती है। किडनी का फंक्शन तो चल रहा है, पर दो आर्गन में से एक तो खराब हो जाता है। इसलिए अगर समय पर स्टोन का सही उपचार नहीं हुआ तो आगे चलकर यही स्टोन किडनी की बीमारी का रूप ले सकता है। कई बार दोनों तरफ स्टोन बन जाते हैं, तो उससे समस्या गंभीर हो सकती है। केवल स्टोन बनने से बीमारी नहीं होती, उसका सही उपचार नहीं होने पर ही बीमारी की आशंका रहती है।

क्या आनुवंशिक कारणों से ही खराब होती है किडनी?
कुछ मामलो में देखा गया है कि फैमिली हिस्ट्री की वजह से कम उम्र में ही किडनी की बीमारी हो जाती है। अगर परिवार में डायबिटीज है तो इसे लेकर सतर्क हो जाना चाहिए। इसी तरह अगर परिवार में किसी को किडनी की समस्या हो चुकी है, तो आपको भी हो सकती है। ऐसे लोगों को वर्ष में एक बार किडनी की जांच अवश्य करानी चाहिए। कुछ बीमारी जीन में ही होती है। इससे किडनी में थैलिया बनने लगती है, जिससे किडनी डैमेज हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है या हल्का-फुल्का कोई डिसआर्डर है तो भी 35 वर्ष की उम्र के बाद साल में एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरिन जांब, कोलेस्ट्राल, लिपिड प्रोफाइल और लिवर का टेस्ट जरूर करा लेना चाहिए।

क्या डायलिसिस ही है किडनी की बीमारी का एकमात्र उपचार?
किडनी का फंक्शन दो तरह से प्रभावित होता है। एक अस्थायी तौर और दूसरा स्थायी तौर पर रक्तसंचार कम या बाधित होने, एक्सीडेंट, डेंगू, बुखार, उल्टी-दस्त जैसे कारणों से अस्थायी समस्या हो सकती है। इसका समय पर सही उपचार हो जाए, तो किडनी रिकवर कर जाती है। आमतौर पर डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन गंभीर स्थिति में एक-दो बार डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। क्रोनिक किडनी डिजीज में स्थायी तौर पर नुकसान हो जाता है। इसमें अगर दोनों किडनी की क्षमता कम या खत्म हो गई है तो समस्या जड़ से खत्म नहीं होती। आठ से दस वर्ष में किडनी काम करना बंद कर देती है, तब डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है।

किडनी को दुरुस्त रखने के पांच उपाय
अगर डायबिटीज है तो ब्लड शुगर और ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखे।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, सक्रियता और संतुलित आहार का ध्यान रखे।

दिन में कम से कम एक बार घर का बना भोजन जरूर करे। बाहर के भोजन

और जंक फूड का सेवन करने से बचे।

दिन में 40 मिनट से लेकर एक घंटे की एक्सरसाइज के लिए अवश्य समय निकाले। इसमें योग- व्यायाम, जिम आदि कुछ भी कर सकते है।

धूमपान और शराब का सेवन करने से बचे। दर्दनिवारक और एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक प्रयोग ना करें।

एंटीबायोटिक्स और पेन किलर को लेकर सतर्कता
एंटीबायोटिक दवाएं डाक्टर के परामर्श पर ही लेनी चाहिए। विशेषज्ञ द्वारा इसकी एक खुराक निर्धारित की जाती है। इस सीमा को पार करना जोखिम भरा हो सकता है। कुछ एंटीबायोटिक्स सीधे तौर पर किडनी को नुकसान भी पहुंचाती हैं। एंटीबायोटिक्स को कभी भी लंबे समय तक नहीं लेना चाहिए। इससे बैक्टीरिया का रेजिस्टेस भी बन जाता है। दूसरी बात, हर एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट्स होते है। इसका प्रभाव फेफड़ों, आंखो या किडनी पर कहीं न कहीं हो सकता है।

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