यूपी: प्राधिकरण और सरकारी संस्थाएं भी कर रहीं जीएसटी चोरी

जीएसटी चोरी में सिर्फ निजी फर्मे ही नहीं लिप्त हैं, बल्कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण और सरकारी संस्थाएं भी जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही हैं। इसे देखते हुए शासन ने विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा की बैलेंस शीट के सघन अध्ययन के निर्देश दिए हैं। निर्माण और विकास कार्यों के लिए सरकार से बजट लेने वाली सरकारी संस्थाओं के खर्च के प्रपत्र भी जांचने के निर्देश दिए गए हैं। संस्थाओं से जुड़े ठेकेदारों और फर्मों की जांच के निर्देश प्रमुख सचिव राज्य कर ने सभी अपर आयुक्तों को दिए हैं।
प्रदेश के कुल राजस्व में राज्य कर की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य कर से 1.75 लाख करोड़ का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य है। इसे पूरा करने के लिए प्रमुख सचिव राज्य कर आयुक्तों को सरकारी एम. देवराज ने अपर संस्थाओं, उनसे जुड़े ठेकेदारों और औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के जरिये कराए जा रहे निर्माण कार्यों के बजट की समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन कामों में बड़े पैमाने पर जीएसटी का भुगतान नहीं किए जाने किए जाने की सूचना है। इसे देखते हुए सरकार हर जिले में हो रहे निर्माण कार्यों की सूची तैयार करा रही है।
इसी आधार पर जीएसटी की बकाया वसूली का नोटिस भेजा जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग पर भी जीएसटी की देनदारी की जांच हो रही है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा द्वारा दी जाने वाली विभिन्न तरह की सेवाओं पर जीएसटी बकाया है। ये प्राधिकरण कई तरह की फीस भी लेते हैं जिन पर जीएसटी लागू है। इसकी वसूली के लिए प्राधिकरणों की बैलेंस शीट का डाटा एनालिसिस किया।
जारी बजट के हिसाब से नहीं मिला टैक्स
विभागीय जांच में पाया गया कि एक अप्रैल 2024 से निर्माण कार्यों की कार्यदायी संस्थाओं और सरकारी संस्थाओं को जितना बजट जारी किया गया है उस हिसाब से टैक्स नहीं मिला है। इसे देखते हुए कार्यदायी संस्थाओं द्वारा जिन ठेकेदारों को टेंडर दिया गया है उनके एस्टीमेट का मिलान फाइनल बिल और दाखिल रिटर्न से किया जाएगा। इस जांच के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। टैक्स चोरी पर लगाम के लिए रेकी की गुणवत्ता पर जोर दिया गया है क्योंकि पूरे प्रदेश में अब तक महज 400 फर्मों में ही कमी मिली है जो बहुत कम है।
सरकारी संस्थाओं से वसूली में सफलता के बाद तेजी
लखनऊ में राज्य कर की विशेष जांच शाखा (एसआईबी) ने उप्र. जल निगम से 54 करोड़ रुपये की रिवर्स आईटीसी कराई। इसी तरह लखनऊ में ही वर्क कॉन्ट्रैक्ट की दो प्रमुख फर्मों को 5300 करोड़ और 742 करोड़ का टेंडर मिला जिनसे जीएसटी का आकलन किया जा रहा है।